– लाल निशान से 33 सेंटीमीटर ऊपर होकर प्रवाहित हो रही नदी, गांवों तक फैला पानी
– जलस्तर घटने पर भी खतरा, कटान से खेती योग्य भूमि के विलीन होने की चिंता
अजीत पार्थ न्यूज बस्ती
अब भीषण बरसात हुई तो माझा क्षेत्र में तबाही बढ़ दो जाएगी। क्योंकि नदी के आगोश में निकटवर्ती दुबौलिया और विक्रमजोत ब्लॉक के एक दर्जन से अधिक गांव आ चुके हैं। इन गांवों के चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। ऐसेे में यदि बारिश हुई तो इन गांवों में पानी का बहाव नहीं हो पाएगा। जगह- जगह जलभराव की समस्या बढ़ जाएगी। ऊपर से नदी का दबाव भी रहेगा।
पिछले सप्ताह तीन- चार दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश के चलते बाढ़ प्रभावित गांवों की स्थिति बिगड़ गई। बारिश का पानी जगह- जगह एकत्र हो गया। तटबंधों में नमी आ गई। रेनकट और छिटपुट कटान की भी समस्या सामने आई। उधर सरयू का जलस्तर भी तेजी से बढ़ने लगा। नदी का विकराल रूप गांवों की ओर बढ़ने लगा। दुबौलिया ब्लॉक का सुबिका बाबू गांव मैरूंड हो गया। तटबंधविहीन एक दर्जन गांवों से नदी सटकर बहने लगी है। कुछ जगहों पर तटबंध पर भी नदी का दबाव पड़ने लगा है। ऐसे में नदी के जलस्तर में वृद्धि और बारिश दोनों से तटीय गांवों में खतरा बना हुआ है। फिलहाल इधर चार दिनों से बारिश थमी हुई है। वहीं बृहस्पतिवार को नदी का जलस्तर भी कुछ कम हुआ है। केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार इस दिन नदी का जलस्तर 93. 060 मीटर पर रिकार्ड हुआ है। यह खतरेे के निशान से 33 सेंटीमीटर ऊपर है। कुल मिलाकर माझा क्षेत्र अब आफत के रडार पर है। झूमकर बारिश होने से या नदी का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों में जान बचाकर सुरक्षित ठौर तलाशने की जद्दोजहद बढ़ जाएगी। इधर जलस्तर कम हुआ तब पर भी मुसीबत कम होने वाली नहीं है। क्योंकि इस स्थिति में कटान होने लगती है। इससे कृषि संपदा जैसेे खेत, खलिहान, पेड़, बगीचों के अलावा तटबंधों को नुकसान पहुंचने की चिंता है।
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कटरिया में ठोकर नंबर एक पर नदी का दबाव बरकरार
सरयू नदी का जलस्तर बुधवार की शाम तक स्थित रहा। रात में बढत दर्ज हुई है। बृहस्पतिवार भोर से धीरे- धीरे घटना शुरू हो गया है। इससे कटान होने की चिंता बढ़ गई है। अति संवेदनशील तटबंध कटरिया- चांदपुर तटबंध पर कटरिया गांव के पास बने ठोकर नंबर एक पर नदी का तेज बहाव बना हुआ है। यहां बाढखंड लगातार निगरानी कर रहा है। खजांचीपुर से लेकर खलवा तक नदी की मुख्य धारा तटबंध से सटकर बह रही है। गौरा- सैफाबाद तटबंध पर 500 मीटर में स्थिति संवेदनशील है। पारा गांव के सामने बने ठोकरों और कटर पर नदी का तेज दबाव बना हुआ है। बाढ़ के पानी से घिरे सुबिका बाबू गांव के लोगों का आवागमन मोटरबोट से हो रहा है। नदी उस पार स्थित देवारारगंगबरार का एक पुरवा व अराजीडूही धरमूपुर मुस्तहकम का कुर्मियाना पुरवा, विक्रमजोत ब्लॉक का माझा किताअव्वल गांव बाढ़ के पानी से घिर गया है। जबकि आंशिक टेढवा पानी से घिरा है। भुअरिया, सतहा गांव में भी बाढ़ पानी फैला हुआ है। जिससे लोगों को रोजमर्रा के समान लेने के लिए तटबंधों पर आना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी पशुपालकों को हो रही है। पशुचारे का प्रबंध नहीं हो पा रहा है।
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पशुओं का हुआ टीकाकरण
बाढ़ प्रभावित गांवों में पशुओें का टीकाकरण कराया जाने लगा है। पशु चिकित्साधिकारी चिलमा अजय कुमार गौड़ के नेतृत्व में सुबिका बाबू गांव में शिविर लगाकर पशुओं का टीका करण किया गया। बताया कि बाढ़ प्रभावित सभी गांवों में यह अभियान चलाया जाएगा।
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विरासत में मिली बाढ़ की विभीषिका, हर साल होते हैं तबाह
दुबौलिया ब्लाक क्षेत्र के सुबिका बाबू गांव के नागरिकों को विरासत में बाढ़ की विभीषिका मिली है। तटबंध और नदी के बीच बसे 40 घरों के इस पुरवे पर 300 की आबादी निवास करती है। हर साल यहां के लोगों की घर- गृहस्थी चार महीने के लिए उजड़ जाती है। बाढ़ की त्रासदी झेलना यहां के लोगों की नियत बन गई है। गांव के निवासी बताते हैं कि इस बार बाढ बहुत पहले आ गई है। धान की रोपाई अभी नहीं हो पाई थी। खेत- खलिहान सभी पानी में डूब चुके हैं। पैदावार की उम्मीद नहीं है। मुकेश ने बताया कि चार महीने घरों में कैद होकर रहना पड़ता है। प्रशासन ने इस बार तत्काल मोटरबोट लगाकर काफी सहूलियत दी है। बच्चों को स्कूल आने-जाने में आसानी हो रही है।