चलो चलकर करें दर्शन, अवध में राम आये हैं

डॉ. उमाशंकर चतुर्वेदी “कंचन” वाराणसी

चलो चलकर करें दर्शन, अवध में राम आये हैं
अनेकों कवि,सुकवि सुर मुनि,उन्हीं का नाम गाये हैं
सुबाहु – ताड़का मारे
ये त्रिसिरा को भी संहारे
प्रदूषण और खर-दूषण
सभी को साथ में जारे
जो जैसा जब मिला वैसा समझकर शर चलाये हैं
चलो चलकर करें दर्शन, अवध में राम आये हैं
शबरी घर पधारे हैं
अहिल्या को ये तारे हैं
जगत के नाथ हैं लेकिन
अनाथों के सहारे हैं
जंगल में अमंगल नाथकर दियना जलाये हैं
चलो चलकर करें दर्शन, अवध में राम आये हैं
लगाते ये गले सबको
हो राजा या कि वनवासी
अकिंचन और कंचन को
शरण में दास या दासी
समर्पण कर दिया जिसने कटी उसकी बलाये हैं
चलो चलकर करें दर्शन, अवध में राम आये हैं

error: Content is protected !!