ग्यारह गांवों में बंग्लादेशी एवं पाकिस्तानी लोगों के 52000 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए गए, ग्राम विकास अधिकारी सहित चार गिरफ्तार

अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी

बावन हजार विदेशी नागरिकों को बसाने के लिए देश के दुश्मनों नें ऐसा खेल खेला कि सभी का असली दिखने वाला जन्म प्रमाणपत्र निर्गत कर दिया।

पूरा मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद का है। जहां पर विगत 18 जुलाई 2024 की तिथि में हजारों रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के जन्म प्रमाण पत्रों को बनाने का खुलासा हुआ था, तब इस मामले में जाँच बिठा दी गई थी जो अब पूरी हो चुकी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कुल 52 हजार से अधिक प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं। इस फर्जीवाड़े में भारत के कई राज्यों सहित पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल तक के लोगों के प्रमाण पत्र शामिल हैं। शासन नें इन सभी फर्जी प्रमाण पत्रों को निरस्त करने का निर्देश दिया है।

सूत्रों के अनुसार फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों से सलोन ब्लॉक के कुल 11 गाँव बुरी तरह प्रभावित हैं। इन 11 गाँवों को मिलाकर कुल 52,594 जन्म प्रमाण पत्र फर्जी निकले हैं। यह जन्म प्रमाण पत्र बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु, केरल व पंजाब राज्यों के साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल तक के नागरिकों के नाम पर बनाए गए थे। उप-निदेशक पंचायती राज शास्वत आनंद सिंह नें इन सभी फर्जी प्रमाणपत्रों को निरस्त करने के आदेश दिए हैं।

इसी के साथ जनपद के जिला पंचायत राज अधिकारी को भविष्य में जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में खास सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। जाँच में पता चला है कि कई गाँवों में तो जालसाजों नें एक ही दिन में 500 से लेकर 1000 तक फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बना डाले थे जबकि एक कंप्यूटर 24 घंटे में 100 प्रमाणपत्र से अधिक नहीं निकल सकते हैं। माना जा रहा है कि एक ही आईडी और पासवर्ड से एक ही दिन में इतने ज्यादा प्रमाण पत्र बनाने के लिए कई प्रदेशों में बैठे साजिशकर्ताओं नें मिलकर काम किया था।
जिन 11 गाँवों में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र पाए गए हैं उसमें सबसे अधिक प्रभावित पाल्हीपुर है। यहाँ 13707 फर्जी प्रमाण पत्र पाए गए हैं। दूसरे नंबर पर नुरुद्दीनपुर है, जहाँ पर प्रमाण पत्रों की संख्या 10151 है। तीसरा नंबर पृथ्वीपुर ग्राम का है। यहाँ 9393 फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं। इसके अलावा सांडा सैदन में 4897, माधौपुर निनैया में 3746, लहुरेपुर में 3780, गढ़ी इस्लामनगर में 2255, औनानीश में 1665, गोपालपुर उर्फ अनंतपुर में 225 और दुबहन में 2 फर्जी प्रमाण पत्र पाए गए हैं।

उक्त फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपी मोहम्मद जीशान है, जो रायबरेली के ही सलोन का निवासी है। उसके साथ साजिश में शामिल रियाज, सुहेल खान और ग्राम विकास अधिकारी विजय सिंह यादव को भी दबोच लिया गया है। मामले की जाँच में एटीएस के साथ एनआईए को भी लगाया गया है। जाँच एजेंसियाँ इस फर्जीवाड़े में शामिल अन्य आरोपियों की मिलीभगत की पड़ताल में जुटी हुई हैं।

उल्लेखनीय है कि मामले का खुलासा तब हुआ जब जुलाई 2024 में कुछ गाँवों की आबादी से अधिक जन्म प्रमाण पत्र बना डाले गए। शुरुआत में इस साजिश की भनक गाँवों के कई प्रधानों तक को नहीं लगी थी। खुद को पाक-साफ दिखाने के लिए विजय यादव नें ही इस फर्जीवाड़े की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई थी। पुलिस की जाँच में यह आया कि विजय यादव ने अपना सरकारी सीयूजी नंबर जीशान को दे रखा था। इसी नंबर पर हर जन्म प्रमाण को एप्रूवल देने वाली ओटीपी आती थी।

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