डॉ. उमाशंकर चतुर्वेदी “कंचन” वाराणसी
मंदिर विराजें रघुरइया अवधपुर बाजे बधइया ।
हर्षित हुईं सरयू मइया अवधपुर बाजे बधइया।।
धर्म अधर्म बीच रण भारी
सुर औ असुर दनुज नर नारी
लड़े बहु दिन तक लड़इया।
अवधपुर बाजे बधइया।।
सत्ता के भूखे कुछ आये
सच को झूठ निरत बतलाये
अन्त में हुए धरासइया।
अवधपुर बाजे बधइया।।
मोदी योगी शासक आये
सत की धर्म ध्वजा लहराये
बन गई महल मड़इया।
अवधपुर बाजे बधइया।।
रामलला लक्ष्मण हनुमंता
सुर नर मुनि खुश हैं सब संता
‘कंचन’ संग सिया मइया।
अवधपुर बाजे बधइया।।